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10 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल 23

मेरी ग़ज़लों में आकर मुस्कुराती हैं तेरी यादें
मुझे अंदर से दीवाना बनाती हैं तेरी यादें

मेरे नग़मों में धीरे से जो आती हैं तेरी यादें
मेरे साज़ों में छुपकर गुनगुनाती हैं तेरी यादें

सितारों को ही गिन गिन कर गुज़ारुँ रात मैं सारी
मेरी आँखों से जब नींदें उड़ाती हैं तेरी यादें

कभी तन्हाई में आकर मुझे बातों में उलझाए
भरी महफ़िल में दामन भी चुराती हैं तेरी यादें

कभी तितली के रंगों में, कभी कोयल के नग़मों में
मेरे ख़्वाबों में अक्सर जगमगाती हैं तिरी यादें

कभी ग़मगीन हो दिल तो सहारा देने आ जाएँ
कि मुझसे दर्द का रिश्ता निभाती हैं तेरी यादें

मेरे बिखरे हुए किरदार को ऐसा समेटा है
कहानी दोस्त बनकर अब सुनाती हैं तेरी यादें

तबस्सुम बन के होठों पे कभी सज जाए है जानम
तो आँसू बन के आँखों को रुलाती हैं तेरी यादें

‘शिखा’ यादों की दुनिया किस क़दर ख़ुदगर्ज़ होती है
कि दुनिया भर की यादों को भुलाती हैं तेरी यादें

1 Like · 280 Views
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