Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल 23

मेरी ग़ज़लों में आकर मुस्कुराती हैं तेरी यादें
मुझे अंदर से दीवाना बनाती हैं तेरी यादें

मेरे नग़मों में धीरे से जो आती हैं तेरी यादें
मेरे साज़ों में छुपकर गुनगुनाती हैं तेरी यादें

सितारों को ही गिन गिन कर गुज़ारुँ रात मैं सारी
मेरी आँखों से जब नींदें उड़ाती हैं तेरी यादें

कभी तन्हाई में आकर मुझे बातों में उलझाए
भरी महफ़िल में दामन भी चुराती हैं तेरी यादें

कभी तितली के रंगों में, कभी कोयल के नग़मों में
मेरे ख़्वाबों में अक्सर जगमगाती हैं तिरी यादें

कभी ग़मगीन हो दिल तो सहारा देने आ जाएँ
कि मुझसे दर्द का रिश्ता निभाती हैं तेरी यादें

मेरे बिखरे हुए किरदार को ऐसा समेटा है
कहानी दोस्त बनकर अब सुनाती हैं तेरी यादें

तबस्सुम बन के होठों पे कभी सज जाए है जानम
तो आँसू बन के आँखों को रुलाती हैं तेरी यादें

‘शिखा’ यादों की दुनिया किस क़दर ख़ुदगर्ज़ होती है
कि दुनिया भर की यादों को भुलाती हैं तेरी यादें

1 Like · 314 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pallavi Mishra
View all
You may also like:
नफ़्स
नफ़्स
निकेश कुमार ठाकुर
मौत का डर
मौत का डर
अनिल "आदर्श"
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्रेम, अनंत है
प्रेम, अनंत है
हिमांशु Kulshrestha
कुछ नहीं चाहिए
कुछ नहीं चाहिए
राधेश्याम "रागी"
"बेज़ारे-तग़ाफ़ुल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
राहों से हम भटक गए हैं
राहों से हम भटक गए हैं
Suryakant Dwivedi
अधिकार और पशुवत विचार
अधिकार और पशुवत विचार
ओंकार मिश्र
..
..
*प्रणय*
2851.*पूर्णिका*
2851.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
स्वयं में ईश्वर को देखना ध्यान है,
Suneel Pushkarna
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
अतीत के “टाइम मशीन” में बैठ
Atul "Krishn"
" ऐ मेरे हमदर्द "
Dr. Kishan tandon kranti
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
*चम्मच पर नींबू रखा, डंडी मुॅंह में थाम*
Ravi Prakash
मत करना तू मुझ पर भरोसा
मत करना तू मुझ पर भरोसा
gurudeenverma198
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
पूर्वार्थ
बांस के जंगल में
बांस के जंगल में
Otteri Selvakumar
नारी....एक सच
नारी....एक सच
Neeraj Agarwal
आगमन उस परलोक से भी
आगमन उस परलोक से भी
©️ दामिनी नारायण सिंह
कैसी निःशब्दता
कैसी निःशब्दता
Dr fauzia Naseem shad
कोई तो डगर मिले।
कोई तो डगर मिले।
Taj Mohammad
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुम्हारी हाँ है या ना ?
तुम्हारी हाँ है या ना ?
Dr. Rajeev Jain
दस्तरखान बिछा दो यादों का जानां
दस्तरखान बिछा दो यादों का जानां
Shweta Soni
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
Dr MusafiR BaithA
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
समय बदलता तो हैं,पर थोड़ी देर से.
Piyush Goel
नगीने कीमती भी आंसुओं जैसे बिखर जाते ,
नगीने कीमती भी आंसुओं जैसे बिखर जाते ,
Neelofar Khan
Loading...