ग़ज़ल 23
मेरी ग़ज़लों में आकर मुस्कुराती हैं तेरी यादें
मुझे अंदर से दीवाना बनाती हैं तेरी यादें
मेरे नग़मों में धीरे से जो आती हैं तेरी यादें
मेरे साज़ों में छुपकर गुनगुनाती हैं तेरी यादें
सितारों को ही गिन गिन कर गुज़ारुँ रात मैं सारी
मेरी आँखों से जब नींदें उड़ाती हैं तेरी यादें
कभी तन्हाई में आकर मुझे बातों में उलझाए
भरी महफ़िल में दामन भी चुराती हैं तेरी यादें
कभी तितली के रंगों में, कभी कोयल के नग़मों में
मेरे ख़्वाबों में अक्सर जगमगाती हैं तिरी यादें
कभी ग़मगीन हो दिल तो सहारा देने आ जाएँ
कि मुझसे दर्द का रिश्ता निभाती हैं तेरी यादें
मेरे बिखरे हुए किरदार को ऐसा समेटा है
कहानी दोस्त बनकर अब सुनाती हैं तेरी यादें
तबस्सुम बन के होठों पे कभी सज जाए है जानम
तो आँसू बन के आँखों को रुलाती हैं तेरी यादें
‘शिखा’ यादों की दुनिया किस क़दर ख़ुदगर्ज़ होती है
कि दुनिया भर की यादों को भुलाती हैं तेरी यादें