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8 Jul 2019 · 1 min read

[[[ ग़ज़ल ]]]

ग़ज़ल / दिनेश एल० “जैहिंद”

“इरादे को मकसद बनाकर तो देखो”
बहर – १२२__१२२__१२२__१२२

कभी भी नजर तुम मिलाकर तो देखो !
किसी हुस्न से दिल सटा कर तो देखो !!

ये दुनिया तो लगने लगेगी….. सुहानी,,
किसी को.. गले से लगा कर तो देखो !!

बहुत फूल…… बिखरे हुए हैं जहाँ में,,
कहीं पे नजर.. तुम उठाकर तो देखो !!

कहाँ खो गए होश में.. आ भी जाओ,,
हृदय में मुरादें…. जगा कर तो देखो !!

खुली आँख के… सपने होते सही हैं,,
इरादे को मकसद बनाकर तो देखो !!

किसे ख्याल में तुम… बसाए हुए हो,,
के “जैहिंद” को गुनगुनाकर तो देखो !!

==============
दिनेश एल० “जैहिंद”
25. 12. 2018

282 Views

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