ग़ज़ल
“माँ को समर्पित”
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——ग़ज़ल——
माँ तो ममता की खान है प्यारे
माँ ही हर घर की शान है प्यारे
ग़म उठा कर भी दे बुलंदी हमें
इसलिए माँ महान है प्यारे
माँ ही दुर्गा है लक्ष्मी सीता
माँ ही गीता का ज्ञान है प्यारे
बाबे ज़न्नत है माँ के क़दमों में
माँ से ही घर मकान है प्यारे
लाख धिक्कार डाँट सहकर भी
होती ये बे ज़ुबान है प्यारे
जन्म माँ ने दिया फ़रिश्तों को
माँ से सारा जहान है प्यारे
माँ की पूजा करूँगा मैं “प्रीतम”
माँ ही मेरी उड़ान है प्यारे
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)