ग़ज़ल
आसमां उस रात कुछ ज़्यादा हसीं हो जाएगा।
चाँद भी करके शरारत शबनमी हो जाएगा।
छा उठेगीं ख़ुशबुएं जब रात रानी की वहां
नूर तेरे रूप का अपनी अदा दिखलाएगा।
हम न होंगे पास तेरे गर तो कोई ग़म नहीं
मैं नहीं तो कोई तुझको दूसरा मिल जाएगा।
दीप की औक़ात क्या जब सामने सूरज खड़ा
रोशनी की जद में तो हर इक ही ज़र्रा आएगा।
कर भलाई जिस तरह से हो सके तुझसे यहां
नेकियों की आब में ख़ुद को सलामत पाएगा।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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