ग़ज़ल
ग़ज़ल
महक उठा मेरा मन आज इस खबर सें।
तुम गुज़रोगे आज इस रहगुज़र से।
धड़कने लगा है अभी से दिल इस कदर।
क्या होगा जब मिलेंगी नज़र तेरी इस नज़र से।
रोज़ होते देंख इक नया हादसा।
सहम उठता है दिल उस मंज़र से।
रहना चाहते है कुछ वक्त शांत हम भी।
घबरा उठता है जी अब इस कहर से।
दें ग़र खुदा हर पल साथ अपना।
बच जाएं हम भी बुरी इस नज़र सें।
सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड