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10 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल 20

तय है सबका आना जाना दुनिया में रुक पाए कौन
ख़ुद को ख़ुदा समझते हैं जो उनको यह समझाए कौन

प्यार तुम्हारा दौड़ रहा है साथ लहू के रग रग में
दिल में है तस्वीर बसी, दिल चीर मगर दिखलाए कौन

उम्र फ़ना हो जाती है शोहरत और इज़्ज़त पाने में
थोड़े से लालच की ख़ातिर नादिर चीज़ गँवाए कौन

कहीं पे वहशत, कहीं पे नफ़रत, कहीं तबाही का मंज़र
दहशत के माहौल में बोलो प्यार के नग़्मे गाए कौन

गलती कोई करता है और सज़ा किसी को मिलती है
क़ानून की आंखों से लेकिन पट्टी ‘शिखा’ हटाए कौन

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