Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल 19

सोकर है जब उठता चाँद
अर्श पे तब है उगता चाँद

दुल्हन की बिंदिया जैसा
अम्बर पे है सजता चाँद

छोटे छोटे बच्चों को
उनका मामा लगता चाँद

इश्क़ में पागल आशिक़ को
माशूका सा दिखता चाँद

जो दो दिन से भूखा है
उसको रोटी लगता चाँद

शब हो जाती है तारीक
बादल में जब छुपता चाँद

तन्हाई में हिज़्र की शब
साथ ‘शिखा’ के जगता चाँद

Language: Hindi
229 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pallavi Mishra
View all
You may also like:
वर्तमान से ज्यादा
वर्तमान से ज्यादा
पूर्वार्थ
क्यों बदल जाते हैं लोग
क्यों बदल जाते हैं लोग
VINOD CHAUHAN
जीवन की विफलता
जीवन की विफलता
Dr fauzia Naseem shad
कड़वा सच
कड़वा सच
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
चैन अमन
चैन अमन
भगवती पारीक 'मनु'
मेरे बस्ती के दीवारों पर
मेरे बस्ती के दीवारों पर
'अशांत' शेखर
हिंदी साहित्य की नई : सजल
हिंदी साहित्य की नई : सजल
Sushila joshi
दोस्तों !
दोस्तों !
Raju Gajbhiye
*कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है (गीत)*
*कभी जिंदगी अच्छी लगती, कभी मरण वरदान है (गीत)*
Ravi Prakash
काजल में उसकी काली रातें छुपी हैं,
काजल में उसकी काली रातें छुपी हैं,
Kanchan Alok Malu
*Love filters down the soul*
*Love filters down the soul*
Poonam Matia
वीणा-पाणि वंदना
वीणा-पाणि वंदना
राधेश्याम "रागी"
क्यूट हो सुंदर हो प्यारी सी लगती
क्यूट हो सुंदर हो प्यारी सी लगती
Jitendra Chhonkar
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
उस दर पर कोई नई सी दस्तक हो मेरी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आटा
आटा
संजय कुमार संजू
Memories
Memories
Sampada
"दिमागी गुलामी"
Dr. Kishan tandon kranti
इसकी वजह हो तुम, खता मेरी नहीं
इसकी वजह हो तुम, खता मेरी नहीं
gurudeenverma198
मत रो मां
मत रो मां
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
मुग़ल काल में सनातन संस्कृति,मिटाने का प्रयास हुआ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
हम कितने आजाद
हम कितने आजाद
लक्ष्मी सिंह
बस में भीड़ भरे या भेड़। ड्राइवर को क्या फ़र्क़ पड़ता है। उसकी अप
बस में भीड़ भरे या भेड़। ड्राइवर को क्या फ़र्क़ पड़ता है। उसकी अप
*प्रणय*
कुछ लिखूँ ....!!!
कुछ लिखूँ ....!!!
Kanchan Khanna
3756.💐 *पूर्णिका* 💐
3756.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
Rj Anand Prajapati
कहने को खामोश थी,
कहने को खामोश थी,
sushil sarna
Tum ibadat ka mauka to do,
Tum ibadat ka mauka to do,
Sakshi Tripathi
तकलीफ इस बात की नहीं है की हम मर जायेंगे तकलीफ इस बात है की
तकलीफ इस बात की नहीं है की हम मर जायेंगे तकलीफ इस बात है की
Ranjeet kumar patre
Loading...