ग़ज़ल 16
नसीबों से यहाँ पायें मुहब्बत
तो भूले से न ठुकरायें मुहब्बत
दिया है आपको जो दिल किसी ने
तो जाँ दे कर भी जतलायें मुहब्बत
अना को घर पे ही छोड़ा करें जी
किसी से जब भी फरमायें मुहब्बत
मिला जो आपको माँ-बाप से है
बुढ़ापे में वो लौटायें मुहब्बत
मुहब्बत में जो चाहें बरकतें तो
जहाँ में खूब बरसायें मुहब्बत
भरोसा है तो दुश्मन के यहाँ से
कभी इक क़तरा ले आयें मुहब्बत
अदावत को हवा देते हैं जो भी
गुज़ारिश उनको सिखलायें मुहब्बत
न भूलें आपको सब ता-क़यामत
जहाँ में ऐसी पहुंचायें मुहब्बत
‘शिखा’ नफ़रत जहाँ फैली हुई है
चलो हम बाँट के आयें मुहब्बत