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10 Jun 2023 · 1 min read

ग़ज़ल 15

रब ने दुनिया बनाई सभी के लिए
चाँद सूरज उगे रौशनी के लिए

दश्त बादल बने हैं नदी के लिए
और बाद-ए-सबा ताज़गी के लिए

रब की नेमत है ये हौसले से जियो
ज़िन्दगी है नहीं ख़ुदकुशी के लिए

ठान ले वो अगर कुछ भी कर जाएगा
काम मुश्किल है क्या आदमी के लिए

राहें अनजान हैं, दूर मंज़िल भी है
काश आए कोई रहबरी के लिए

साथ जीवन गुज़ारे यही है बहुत
कौन मरता यहाँ है किसी के लिए

टिक सका अपने वादे पे कब वो ‘शिखा’
प्यार करता रहा दिल्लगी के लिए

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