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1 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल -1222 1222 122 मुफाईलुन मुफाईलुन फऊलुन

दिली जज़्बात सारे खोलते हैं।
ज़बाँ चुप है इशारे बोलते हैं ।

भरी महफ़िल रहे ख़ामोश थे जो
वो ख्वाबों में हमारे बोलते हैं।

सुनूँ साँसों में मैं आवाज़ जिस की
वही दिल में हमारे बोलते हैं।

बता कैसे छुपेगा इश्क जग से
ज़मीं ज़र्रात सारे बोलते हैं ।

धरा बंजर सदानीरा भी सूखी
बचाओ जल के नारे बोलते हैं।

किसी की भी कभी सुनते नहीं जो
सदा उनके सितारे बोलते हैं।

भला ‘नीलम’ समुंदर क्या डुबोए
भँवर को हम किनारे बोलते हैं ।

नीलम शर्मा ✍️

Language: Hindi
1 Like · 87 Views
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