ग़ज़ल (हमरा स अहाँ जे रूसल छी)
गजल
हे यै बाजू ने किएक?
हमरा स’ अहाँ जे रूसल छी।
अहाँ छी तामसे अघोर
लाजे कठुआएल जेना हम भीजल छी।
आई बाजब नहि अहाँ स’ हम
किएक नहि हमरा कतबो मनाएब।
कि करू हम किछु नहि फुराए
गप करै लेल हमर मोन सुगबुगाए।
कहने रही अहाँ त‘ जे
एक संगे मेला घूमै लेल जाएब।
हम बुझबे नहि केलियै
जे अहाँ एतेक बहन्ना बनाएब।
सख मनोरथ सभटा रहिए गेल
किनि देलहुँ ने अहाँ झुमका-कंगना।
आबो भरि मुँह बाजि लियअ यै
देखू त’ की कहैत अछि हमर नैना।
शायर -किशन कारीगर
© काॅपीराइट