ग़ज़ल सगीर
तुम्हारे बिन किसी से राज साझा हो नही सकता।
ज़माना सारा मिल जाए,पर तुमसा हो नहीं सकता।
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किसी भी बे वफा से कोई रिश्ता मत निभाना तुम।
जो तेरा हो नहीं सकता वो मेरा हो नही सकता।
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मरीज़ ए इश्क़ पर कोई भी हिक्मत चल नही सकती।
किसी बीमार ए दिल का कुछ मदावा हो नही सकता।