ग़ज़ल :– ले चल मुझे मैं जहाँ चाहता हूँ !!
ग़ज़ल :– ले चल मुझे मैं जहाँ चाहता हूँ !!
हसीं भोर रंगी समा चाहता हूँ !
ले चल मुझे मैं जहाँ चाहता हूँ !!
ज़रा देर कर दि सँवरने में मैंने !
इसके लिये अब क्षमा चाहता हूँ !!
मज़हब के दंगों से रोया बहुत मैं !
मौसम ज़रा खुशनुमा चाहता हूँ !!
मेरा देश असहाय बूढ़ा हुआ अब !
मैं आज होना जवां चाहता हूँ !!
अब तो फलक जैसी रोशन जमीं हो !
चमकते सितारे यहाँ चाहता हूँ !!
तेरे मनचले जिगर का मुझे क्या ?
मैं बस तेरी आत्मा चाहता हूँ !!
यहाँ डस रहा जो हमारी तपन को !
अँधेरों का अब खात्मा चाहता हूँ !!
अनुज तिवारी “इन्दवार”