ग़ज़ल (लाइफ से क्वीट)
ग़ज़ल
लाइफ से क्वीट भी
किया जा सकता है।
पर अब यह मेरे लिए
आसान है न सस्ता है।
दर्द होकर शुरु टॉप से
बॉटम को दरकता है।
कब होंगी बीट्स बंद
जिनसे दिल धड़कता है।
लाइफ है ड़िसचार्ज फिर भी
समय नही सरकता है।
ऑइज़ से अब तो आंसू की
जगह खूंन टपकता है।
बातें कुछ दिल में रखना
सीखा इक सबक सा है।
ज़िन्दग़ानि मुश्क़िलो का
क्या खूब मदरसा है।
ज़िन्दगी के पाठ पढ़ना
हो गया ज़बर सा है
सुधा भारद्वाज
विकासनगर