ग़ज़ल रचनाएँ
मिट्टी से भी खुशबू आये गाँव हमारा ऐसा है,,,,,,,,,
जैसे खोई जन्नत पाये गाँव हमारा ऐसा है ।।।।।।।।।
तेरी आँखो का हर आँसू पौँछे प्यार मुहब्बत से,,,,,,,
रोता रोता तू मस्काये गाँव हमारा ऐसा है ।।।।।।।।
देखो अपने महमानो की इज्जत इतनी करते है,,,,,,
चाहे खुद भूखे रह जाये , गाँव हमारा ऐसा है ।।।।।।।
कैसे भी हालातो में भी साथ नही छोडेगें वो,,,,,,,,,
झगड़ा अपना खुद निपटाये गाँव हमारा ऐसा है ।।।।
कोई सुख हो या कोई दुख साथ हमेशा देते है,,,,,,,
गलती पे मिल कर समझाये गाँव हमारा ऐसा है ।।।
इक दूजे की खातिर अपनी जान गवाँ सकते है ये,,,,,,
दुश्मन से भी जा टकराये गाँव हमारा ऐसा है ।।।।।।
हर हालत में खुश रहते है चाहे लाख गरीबी हो,,,,,,,
सुख हो चाहे गम के साये गाँव हमारा ऐसा है ।।।।।।।
भोले भाले इन लोगो पर कैसे फिर इल्जाम लगे,,,,,,
जो आपस की कस्मे खाये गाँव हमारा ऐसा है ।।।।।।