ग़ज़ल रचनाएँ
अकेले राह में तन्हाइ को ही साथ ले लेगें,,,
मुहब्बत ना सही रुसवाइ को ही साथ ले लेगें।।।
हमे सुनसान रातो मे बहुत ही डर सताता है,,,,
करे क्या अब उसी हरज़ाइ को ही साथ ले लेगें।।।।
नही आता हमारे साथ कोई क्या करेगें हम,,,,
बहुत मजबूर है परछाइ को ही साथ ले लेगें।।।।।