ग़ज़ल:- मियां बस आपकी ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी…
मियां बस आपकी ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।
सज़ी महफ़िल यहां आख़िर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।
ज़मा साहित्य के साहिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
हसीं महफ़िल बड़े शाइर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
नज़र पैनी तेरी नाज़िर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।
बता दे तू नहीं क़ासिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
ज़माना कह रहा काफ़िर ख़ुदा तेरे बंदे को।
ख़ुदा के वास्ते क़ादिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
मेरे शे’रों से करते हैं निज़ामत आज शायर।
उन्ही हर शे’र की ख़ातिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
सुख़न की राह पर चल कर बदल देंगे ऐ दुनिया।
सुख़न के हैं मुसाफ़िर फिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
बड़ा उस्ताद बनता है मेरी ग़ज़लें चुराकर।
अगर ग़ज़लों में हैं माहिर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
नया है जाविया मेरा रवानी भी ग़ज़ल में।
दुबारा कल्प’ तुम को फ़िर ग़ज़ल कहना पड़ेगी।।
✍ अरविंद राजपूत ‘कल्प’
साहिर:- जादूगर
क़ासिर:- असमर्थ, लाचार, कमी करने वाला, कसर रखने वाला, नाकाम, कोताही करने वाला, मजबूर, नाचार
माहिर:- अच्छा जानकार, विशेषज्ञ।
शातिर:- धूर्त; चालाक; काइयाँ। शत्रंज का माहिर, धूर्त, छली, ठग, चपल, चंचल, शोख, धृष्ट, ढीठ ।
क़ाफ़िर:- जो खुदा और कुरआन को न मानता हो, नास्तिक।उत्पाती, उपद्रवी
नासिर:-गद्य लेखक।
क़ादिर:- क़ुदरत या शक्ति रखने वाला, शक्तिशाली, समर्थ, ताक़तवर, क़ाबू रखने वाला, नियन्त्रण रखने वाला, माहिर, भाग्यवान, ईश्वर का एक नाम
नाज़िर:- नज़र रखने वाला, देखने वाला, निगेहबान,
क़ासिर:- असमर्थ, लाचार, कमी करने वाला, कसर रखने वाला, नाकाम, कोताही करने वाला, मजबूर, नाचार