ग़ज़ल- बेवफ़ा होते गए (राना लिधौरी)
ग़ज़ल- बेवफा होते गये-
दो ज़िस्म भी एक जां होते गए।
क्या बताए क्या से क्या होते गए।।
हमसे अब क्यों दूरियां बढ़ने लगी।
की शिकायत तो ख़फा होते गए।।
दिल में हंसीं कुछ पल सजाये हमने थे।
हर ज़ख़्म की वो तो दवा होते गए।।
ख्वाब जो दिल में बसाये थे कभी।
आज वो क्यों फिर हवा होते गए।।
जां से ज़्यादा ‘राना’ ने चाहा जिसे।
वो यार मुझसे बेवफ़ा होते गए।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
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