ग़ज़ल : …. बने पहरेदार रहते हो ।
….. बने पहरेदार रहते हो ।
काम पे मुस्तैद बने पहरेदार रहते हो ।
फर्ज पे कुर्बान गजब तय्यार रहते हो ।।
कीमती मत लेके रहनुमा गद्दार होते,
हर हालात में तुम वफादार रहते हो ।।
ना नींद, ना चैन, ना भर पेट भोजन,
चारों पहर सीमा पे खबरदार रहते हो ।।
मेहबूब से बेखबर, परिवार से अनजान,
अवाम की रक्षा में होशियार रहते हो ।।
है प्रेम कितना मातृभूमि से ए जवानों ,
देश की खातिर सदा निसार रहते हो ।।
है सलाम तेरे ऐसे जज्बात को “जैहिंद”,
तुम हमेशा मौत के आर-पार रहते हो ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
14. 09. 2017