**ग़ज़ल: पापा के नाम**
ज़िन्दगी में खुशियों की लड़ी , हैं पापा
अनमोल उपहारों की झड़ी , हैं पापा
धरती सा धीरज, आसमां सी महक,
जमीनी हकीकत की कड़ी , हैं पापा
जब भी मुश्किलें आईं ज़माने में हमें,
अटल हिम्मत की घड़ी, हैं पापा
हर गम का साया लपेटे खुद ही ,
खुशियों की फूलझड़ी , हैं पापा
संभाला जमाने की ठोकरों से गिरने से ,
विपदा जब भी हम पर पडी , हैं पापा
अंधेरों में भी आपने दी रौशनी,
कभी दुलार कभी तड़ी , हैं पापा
महक से महकता है ये घर ये आँगन ,
बिन आपके जिंदगी अधूरी , हैं पापा
‘असीमित’ साया बाप का वटब्रक्ष जैसा ,
आपकी छांव में हर खुशी पूरी, हैं पापा
रचनाकार -डॉ मुकेश ‘असीमित’