ग़ज़ल :– दौलत मिली तो तौर तरीका बदल गया ।
ग़ज़ल :– दौलत मिली तो तौर तरीका बदल गया ।
बहर :– 221-2121-1221-212
रदीफ :- बदल गया
काफिया :– आ
✍? अनुज तिवारी ” इंदवार ”
तहज़ीब ये बदल गई , रुतबा बदल गया ।
दौलत मिली तो तौर तरीक़ा बदल गया ।
कद रंग रूप चाल नज़ाकत मेरी वही ,
फिर आज क्यों ये प्यार तुम्हारा बदल गया ।
मगरूर थे , जवान सदा हसरतें रहीं ,
ठोकर लगी तो आज इरादा बदल गया ।
माथा वही है आज भी सिंदूर वही है ,
माथे पे वो सिंदूर का टीका बदल गया ।
बदले हुए निजाम का अहसास तब हुआ ,
जब दोस्त मेरा आप सरीखा बदल गया ।
सोचा था तेरा प्यार मुकद्दर में नहीं है ,
भगवान मेरे माथे का लेखा बदल गया ।
जिस दौर पे गुरूर जवानी में था बहुत ,
उस दौर का वो आज तो शीशा बदल गया ।