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22 Oct 2022 · 1 min read

ग़ज़ल “दिवाली”

हर किसी का घर हो रौशन इस दिवाली
कोई सूना हो न आँगन इस दिवाली

इस दिवाली कोई भूखा भी न सोए
सब की थाली में हो भोजन इस दिवाली

हर दिया रौशन करे सरहद को जगमग
घुस न पाए कोई दुश्मन इस दिवाली

घर सजाकर करना स्वागत लक्ष्मी का
लक्ष्मी आयेगी छन छन इस दिवाली

मन लगाकर करना पूजा तुम “शफ़क़” जी
फिर पटाख़े होंगे दन दन इस दिवाली

©Sandeep Singh Chouhan “Shafaq”

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