ग़ज़ल – तेरे जाने का जो हमको ग़म रहा।
तेरे जाने का जो हमको ग़म रहा
इस तरह जादू तिरा क़ायम रहा।
दिन हसीं था,तेरी यादों में मगर,
आज भीगा भीगा सा मौसम रहा।
ऐ महब्बत तेरी कुदरत है कमाल,
सारी दुनिया में तिरा परचम रहा।
कल से तुम नाराज़ हो तो इसलिए,
फ़ोन मेरा,सारा दिन बेदम रहा।
मैंने कोशिश की छिपाने की जिसे,
वो चमकता हर जगह हरदम रहा।
रात तन्हा थी,उनींदी कट गई,
रात सारा आसमाँ भी नम रहा।
ज़िन्दगी से ग़म में नफ़रत भी हुई,
ज़िन्दगी से प्यार भी हरदम रहा।
सूबे सिंह सुजान