ग़ज़ल :– जुलमी तेरी निगाहें ख़ंज़र …..!!
ग़ज़ल :– जुल्मी तेरी निगाहें !!
गजलकार :– अनुज तिवारी “इन्दवार ”
महफिल की भीड़ मे मेरा शिकार करती !
जुल्मी तेरी निगाहें खंजर सी वार करती !!
कह दो उन्हे जरा सी नजरें झुका लें अपनी !
सातिर बडी निगाहें चुन-चुन प्रहार करती !!
छुप जाऊं गर कहीं भी थोडी सी आड़ लेकर !
आतुर तेरी निगाहें पल-पल गुहार करती !!
आँखों मे सजाये अपने काजल की धार पैनी !
कातिल तेरी निगाहें दिल को हलाल करती !!
रखली उतार के पलकों पे ख्वाब सारे !
शायद तेरी निगाहें चाहत बेसुमार करती !!