ग़ज़ल /गीतिका
“” “””””” प्रणाम माँ””””””
यादों में आ जाते हो….
बातों में खो जाते हो…
हम तुम्हें खोजते – खोजते थक गए..
ना जाने तुम कहाँ चले जाते हो….
तेरी आबो – हवा में शान थी…
तेरी छाया में मेरी पहचान थी…
तेरे पल्लू में छुपकर रहना…
महफूज़ था मेरा दिल रूपी गहना..
वो तेरा आशीर्वाद का मेरे सर पर हाथ…
देता मुझे राहों पर चलने का साथ…
बहुत ज्यादा कभी – कभी दिल मचल जाता है..
तेरे संग रहने को दिल चाहता है…
जिन्दा हूँ बस सांस बाकी हैं…
मर तो गयी में भी, बस आस बाकी हैं…
कब हो गया आज एक साल…
पर तू मेरी हर सांस में चलती हैं…
मैं कैसे बताऊँ तेरी याद बहुत सताती हैं….???
“” “”””””””””” माँ””””””””””””