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1 Jul 2021 · 1 min read

ग़ज़ल- ग़म रहने लगे हैं -(राना लिधौरी)

ग़ज़ल- ग़म रहने लगे

जब से मेरे पास ग़म रहने लगे हैं।
दूर तबसे ही सनम रहने लगे हैं।।

क्या हुआ है? मुफलिसी का आगमन।
दोस्त मेरे पास कम रहने लगे हैं।।

जिनके हाथों में कभी थे गुल मगर।
उनके हाथों अब बम रहने लगे हैं।।

हंस के देखा इक पड़ौसी ने मुझे।
उनके दिल में ही वहम रहने लगे हैं।।

जब से पकड़ा दामने सच्चाई को।
ज़िन्दगी में ‘राना’ तम रहने लगे हैं।।
***
© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
* ( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-31,पेज-39 से साभार

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