ग़ज़ल : इस तरहा छाए न होते !
इस तरहा छाए ना होते !
आप जो मुझको इतना.. भाए न होते ।
आप.. मेरे जीवन में… आए न होते ।।
अगर मैं अपनी जुल्फों को ना झटकती,,
आप… मुझपे इस तरहा छाए न होते ।।
आप में… मैं नेकदिली.. जो ना पाती,,
आप…. मेरी आँखों में समाए न होते ।।
आपकी उलफ़त जो मुझको न मिलती,,
आप-सा… महबूब कहीं पाए न होते ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
13. 07. 2017