ग़ज़ल-अब के बहार में
ग़ज़ल- अब के बहार में-
मिल जाएगा मेहबूब अब के बहार में।
क्या आ गया ख़्याल दिले बेकरार में।।
क्या मिलेगा तुमको हमसे तकरार में।
नहीं वो मिलेगा मज़ा जो है प्यार में।।
जो काम ऐसा कर गया है इस जहां में।
हर वर्ष लगेंगे मेले उसकी मज़ार में।।
अपने भी दिन फिरेंगे एक दिन जरुर।
हमको तो यकीं है परवरदिगार में।।
‘राना’ ढूंढते ही रह जाओगे यहां।
प्यार न मिल पायेगा तुमको बज़ार में।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी”,टीकमगढ़
संपादक-“आकांक्षा” हिंदी पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ बुंदेली पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
*( राना का नज़राना (ग़ज़ल संग्रह-2015)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के ग़ज़ल-54 पेज-62 से साभार