घिनौनी साज़िश
मेरे ख़ुदा
इस देश में
यह कैसी
क़यामत है!
सियासत में
मज़हब है,
मज़हब में
सियासत है!!
बिना हिंदू-
मुस्लिम किए
कोई चुनाव
नहीं होता!
लोकतंत्र के
ख़िलाफ़ यह
एक घिनौनी
शरारत है!!
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