गहरी नींद
चल ना ऐ जिंदगी अड़ी सी क्यों है,
क़दम बढ़ा के देख खुशियां बिखरी पड़ी है।
जो अपना था हीं नहीं,अब वो याद भुला दे,
या फिर से जागूं ना कभी, वो गहरी नींद सुला दे।
चल ना ऐ जिंदगी अड़ी सी क्यों है,
क़दम बढ़ा के देख खुशियां बिखरी पड़ी है।
जो अपना था हीं नहीं,अब वो याद भुला दे,
या फिर से जागूं ना कभी, वो गहरी नींद सुला दे।