गहरी नींद सुला दिया
**** गहरी नींद सुला दिया *****
***************************
सपनों को गहरी नींद सुला दिया,
तारों को महफ़िल में बुला लिया।
रात चाँदनी सितारों भरी बारात है।
चाँद सी दुल्हन से था मिला दिया।
सूर्य की गर्मी से लथपथ तन बदन,
हवा के झोंकों ने सारा सूखा दिया।
चाँदी सी चमकती ओस की बूंदें,
धरती की चादर को चमका दिया।
परियों सी शहजादी का आगमन,
कलेजे पर भारी सितम ढा दिया।
फूलों से हरी-भरी फुलवारी खिली,
महक से घर-आंगन महका दिया।
मनसीरत जुगनुओं की लोरियों से,
मधु सा मधुर शरबत पिला दिया।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)