गहरी नदिया नांव पुराने कौन है खेवनहार
गहरी नदिया नांव पुराने
कौन है खेवनहार
हरि भजन कर नर मुरख
यही है जग में सार
पूर्ण ब्रह्म परमात्मा कृष्ण है
भजले राधेश्याम
राम कृष्ण में कुछ भेद नहीं है
जग का पालन हार
सर्वत्र व्याप्त है परमात्मदेव
आनन्दकंद भगवान
विराट रूप है उनका दर्शन
भज लो सीताराम
कवि विजय का आधार एक है
भक्तों का भगवान
अब निराकार निरंजन आओ
आप हैं खेवनहार
प्रभु,साठ बरस मै ब्यर्थ बिताया
मिला न खेवनहार
माया नगरी है कुप अंधेरा
प्रभु तुम्हीं लगावों पार
कर रहा हूं, मैं सांख्य समर्पण
आंनद कंद भगवान
अब मुझे बचाओ इस जगत से
है कांटों का भरमार
माया नगरी में मै डुब मरूंगा
तुम हो खेवनहार
आके बचालो कृष्ण कन्हैया
नाव पड़ी मझधार
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग