गहने कल रात चुराए (बाल कविता)
गहने कल रात चुराए(बाल कविता)
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सोचा जग्गू दादा ने
इस बार लक्ष्मी लाएँ,
दीवाली पर रखें खोलकर
दरवाजा सो जाएँ
सुबह हुई तो लगे ढूंढ़ने
लक्ष्मी जी क्या लाईं,
पूछा पत्नी से
क्या देखा लक्ष्मी जी थीं आईं
पत्नी बोली अकल तुम्हारी
पूरी ही सठियाई,
घर की खोल किवाड़ें
किससे घर में लक्ष्मी आई
घर में घुसे चोर ने ही
गहने कल रात चुराए,
आती नहीं लक्ष्मी जाती
उनकी जो एठियाए।।
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451