Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2023 · 9 min read

गल्प इन किश एण्ड मिश

गल्प इन किश एण्ड मिश

​गल्पकार —प्रेमदास वसु सुरेखा

जिन्दगी भौतिकता का सपना है, उसमे हर कोई डुबना चाहता है, यूजकर लू बस यही

उसकी कामना है, पता नही ये जीवन अब कैसे लोग जीते है ?

उसमे गोता लगाते है बस वो मिल जाये अपना जीवन सफल इसी अभिलाषा मे

गुजर जाता है जीवन ।

वाह रे जीवन! भौतिकता का स्वार्थी पता नही उसे क्या लाभ और क्या

हानि है पर उसे आनन्द तो लेना ही है, यही तो जीवन का रस है, खुशी है,

उद्देश्य है, जैसी शिक्षा मिली । कैसी शिक्षा मिली ? कैसे गुरुजी बनें पता नही,

फिर भी मोहर लगी है गुरूजी की ।

वाह रे मानव । अच्छा है, अतिउत्तम, लोग पढ़ते पढ़ते बुड्ढे हो जाते

है पर नौकरी नहीं मिलती और कुछ को बिना परिणाम मिल जाती है क्यो ?

मोटा भाई इन दिनो कॉलेज की पढ़ाई कर रहा है अतिबुद्धि नही है,ना ही किशमिश, ना

नादाम, ना काजू उसे मिले है, ना कि वणिक्, या भीखमंगा पण्डित वर्ग से है, ना ही बेहद धनवान

परिवार से है, पर पढ़ाई में उसे रुचि है, सब कहते है ये कोई महान् व्यक्ति बनेगा

पर पता नही उसके विचार में क्या है ? सब जानते है महाविद्यालय का जीवन

बड़े-बड़ो का जीवन बिगाड़ देता है, ये उम्र ही ऐसी होती है, क्या कहे पर ये गिरगिट रूपी ज़िन्दगी जी रहे हैं बहरुपिया जैसे लोग ।

मोटा भाई का दिमाग क्या है उसे कोई नही समझा सका।

वह बात-बात पर गुरुजनो से अड़ जाता है कहता है आप की

नौकरी कैसे लगी पैसो से या मेहनत में क्या कहे जमाना ही ऐसा है, सच रहने वाला

कम जीता है और वो भी दुख के साथ।

बाद मे उसका गुण-गान होता है क्यों ? पता नही, फिर भी क्या कहे । कब क्या

हो जाये, कौन किसको पा जाये ? यह भी पता नहीं, कब गरीब अमीर बन जाये

यह भी पता नही मोटा भाई जिसे कॉलेज में साथी लोग पागल समझते है, लोग

कबीर को भी पागल कहते थे, निराला, नागार्जुन को भी पागल कहते थे । पर

पता नही ये जमाना उन्हे क्यों याद करता है ? क्यो गुणगान करता है ?

वाह रे जमाने । तेरी बात निराली है, शान्तचित व्यक्ति के

मित्र कम ही होते है जीवन मे उसे पागल कहते है मोटा भाई सच कहता है पर दुनिया

उसे मूर्ख समझती है ।

क्यो ? मन्दिर मे क्या ? मस्जिद में क्या ? गुरुद्वारे में क्या? चर्च में क्या ?

सब कहते है आस्था ,विश्वास, श्रद्धा, चलो ठीक है पर अपने मन की आस्था

कहाँ से लाओगे ? मांत- पिता को पानी नही पिला सकते और परोपकार

किस काम का, मन मे तो शैतान बसा रखा है, वहाँ जाने से कुछ पल की शान्ति

मिले या ना मिले ये सब उसके स्वभाव पर निर्भर करती है, पर असली शान्ति तो

उसके मन की शान्ति है जो उसे वहाँ से नहीं मिल सकती।

खैर जब तक अपने आप को नही सुधारोगे अपने आप को नही

समझोगे, और अपने आप को नही जानोगे तब तक शान्ति का नही अशान्ति का

चरित्र आप के अन्दर विराजमान है, ये दिल मानता नही, ना ही समझा है ।

ये तो उसमे रमना चाहता है तभी तो ये मानव क्षणभंगुर का सपना है,

फिर भी ये तो निश्चित है मोटा भाई कमाल का व्यक्ति है जो की बेपरवाह होकर

सच कहता है, सती प्रथा सब जानते है अग्नि मे जली सती हो गई, न जली

तब भी उसे जलाया गया क्यो ? क्या उसे जीने का अधिकार नही,

फिर क्यों मारता है उसे ? क्या यह अच्छा है, क्या यही भारत है ?

क्या यही तेरी शिक्षा है। क्या पति के बाद उसका जीवन खत्म ?

ऐसा तो नही फिर क्यों? कर्तव्य से विमुख होते हो ? क्या सेवा नही

कर सकते , पता नही, क्या कहे ?

मोटा भाई का सफर यही खत्म नही होता वह तो सच का

पुंज है सब जानते है लेकिन सोच अच्छी से कुछ नहीं होता पैसा तो चाहिए ही।

पांच प्रतिशत अंक लाने वाले गुरुजी बन जाये ये कहाँ का न्याय है, न्याय की देवी की

आँखे बंद हो जाये ये कैसा न्याय है ? उसे न्याय की नही अन्याय की देवी

कहो, फिर भी वाहवाही लुट रहे है किसी की गद्दी मिल गई, तो मठाधीश हो गये

वाह रे जमाने । कुछ बोल दिया तो धर्म विरोधी हो गया, भाई जीना है तो ये

मत बोल, खत्म हो जाएगा ।

मोटा भाई सोच के भी सोचता है पर उसकी पार नही पड़ती

क्यों ? ये पता नहीं, जिन्दगी का सफर तो पैन की नोक पर चलता है,समझने के

लिए तो कान काफी, तभी आज देश के सिंहासन पर बहरुपिये जैसे लोग विराजमान हैं , सब जानते है मोटा भाई कोई दिव्य शक्ति है, सब उसे महान्

कहते है पर पता नहीं वो कैसा है ?

कॉलेज के हालात सब जानते है, पढाई नही, इश्क चलता है, भाई 10 के बाद

कॉलेज न होकर इश्क शालाए होनी चाहिए, वहां किताब का ज्ञान नहीं, प्रेम ज्ञान देना

चाहिए , चलो देखते है, कब नाम बदले, कब हालत सुधरे,

कब शिक्षा – पद्धति सुधरे ? पता नहीं ।

भौतिकता आज नस-नस मे रमी है सब जानते है, सब मानते है,

जब से फिल्मे आई, मोबाईल आये, टेलीविजन आये किस तो आम बात हो गई,

दुनिया जानती भारत तो अनुकरणवादी है तुरन्त अनुकरण कर लेता है, फिर भी क्या

कहे ? यही तो भारत है, मोटा भाई है, सच तो बोलेगा, चाहे कुछ भी हो,

सच तो उसका ईश्वर, अल्लाह गॉड, वाहे गुरु सब है, सब तो उसका मांत-पिता है,

गली देखो, गली देखो, मोटी दीवार देखो, चाहे संकरी गली देखों, जहाँ मौका मिले

वहाँ देखो, किस का जमाना चल रहा है जहाँ जगह मिली लपैट लिया, क्या यही

भारत है, क्या यही विश्व गुरु बनेगा ? पता नही पर मोटा भाई है तो सच बोलेगा ।

वाह रे जमाने । अजीब बात है, किसी को देखा, दोस्ती हुई,

उसी के बारे में सोचने लगा, रात- दिन उसी मे डुबा रहा, खोया रहा, सुबह जागा तो

नशे मे बूर, पता नही उन्हे

क्या हो गया ? ये युवा है, ये हमारी शान है, ये हमारी शक्ति

वाह रे युवा। चुनाव देख लों, चुनाव युवा जिताते है,

दिन मे VIP रात को उठाने वाले मौन क्या कहे। क्या कहे जमाना इन्ही का है,

तभी तो हम नेता है जैसे चलते हो, चलते रहो, गाड़ी को रोको ना

नही

पता नही कल को हम हो या नहीं।

नशे से जगा तो बोला भाई मै तो मिस कर रहा था जिसे उद्यान मे कच्छे में

देखा, वाह रे मानव ! सोच अन्धी है ऐसे ही तो लोग नेता और बाबा बनते है,

मोटा भाई बोला ये दौर नेता और बाबाओ का है, जो अति उत्तम

है, तभी तो हम भारतीय दिव्य शक्ति बनने, विश्व गुरु बनने, और भगवान बनने का

सपना देखा करते है, इसमें कोई शक नही, हाँ सही है, कॉलेज मे भी मोटा भाई

पगला गया, उसे भी प्यार हुआ, कैसे हुआ, क्यो हुआ ? ये तो वो ही जाने, फिर भी

बात निराली है, सुवरी की आँखो का वो प्रेम प्यारा है कॉलेज चला और दोस्त बने,

बात आगे बढ़ी पर छुट्टी आई, मोबाईल जुड़े

बाते आगे बढी

मोटा भाई गाँव का लड़का और वो शहरी बाला, वो क्या जाने किस – मिस ?

किस होता मोबाईल पै मोटा भाई बोला, क्यो थूक रही हो ? क्या मोबाईल

गन्दा है ? या जीभ मे कुछ अलझ गया ।

सुवरी बोली पागल है क्या ? समझ नही सका, क्या बात है सही बोल

नाराज क्यों है मोटा भाई बोला, तभी

मोबाईल डिस्कनेक्ट ।

मोटा भाई सोच रहा, कुछ तो बात होगी, कुछ बात

नही होगी असमझ स्थिति तभी मोबाईल पुनः कनेक्टिविटी हुई , हाल-चाल का

दौर चला, सुवरी बोली, मिस तुझको कर रही थी किस तुझको कर

रही थी मैं। तभी मोटा भाई बोल उठा, बस इतनी सी बात, इसमे तु

इतना नाराज हो गई, मुझे पता नही था, परसो कमरे पे आना।

तुझ को किस- मिस सब मिला के दूंगा, प्यार की खूशबू भर दूंगा बस आते समय अपने साथ ..

दूध ले आना, इतना

सुनकर सुवरी प्रसन्न हो गई मन मे विचार

आने लगे तभी मोबाईल डिसकनेक्ट हो गया

सुवरी दो दिन तक बस उसी के बारे में सोचती रही

सोचा अब मेरी तमन्ना पूरी होने वाली है, मुझको सुख मिलने वाला है,

वो अपने शरीर को और चिकना बनाने लगी, क्रीम पाउण्डर लगाये, नये-नये

विचार उसके अन्दर आने लगे, सोचती है शादी कर लूंगी, जीवन अपना

स्थायी हो जायेगा।

वाह रे मानव । क्या सोच है तेरी, मैं तो तंग रह

रहा, दंग रह गया, आज सच मे महिला पुरुषो से ऊपर हो गई मुझे बस

अब समझ मे आ गया ।

परसो होता है सुबह, सुवरी सज- धज के

मोटा भाई के कमरे पर आती है हाथ मे दूध की ढोली है, चेहरे पर कामुकता

की झलक जैसे विश्वामित्र को रम्भा ने दंसा, वैसा प्लान कर के आई है

मोटा भाई उससे कहता है, आओ, बैढो और उसे पानी देता है, सुवरी पानी

पीती है और उसके हाल-चाल पूछती है, घर-परिवार के बारे मे बाते

करती है तभी मोटा भाई कहता है 10 बजे का कॉलेज है, क्या आज आप

कॉलेज नहीं जाओगे, तभी सुवरी कहती है क्या आप नही जाओगे ?

मोटा भाई बोला आज तो नहीं क्यों ? मैं आज तेरा गुस्सा शान्त करना चाहता हूँ

इसलिए मैंने एक प्लान बनाया है। क्या – बताने का नहीं ?

सुवरी मन्द-मन्द मुस्कराती है सोचती है जो सोचा था वही होने वाला है

तभी सुवरी बोली, आज मैं कैसी लग रही हूँ. मोटा भाई कहता

क्या बताऊं ?

कुछ तो कहो, चलो ठीक है, उस जमाने मे इन्द्रलोक था, अल्कापुरी थी , आज बॉलीवुड है

पहले अप्सरा हुआ करती थी बस आज अभिनेत्री है, बस अन्तर केवल नाम का है,

क्या कहूँ बिल्कुल रंभा की कन्या है।

इतना सुनकर सुवरी और प्रसन्न हो जाती है, सोचती है, आज मेरी

मन:कामना पूरी होने वाली, मोटा भाई आज परे मूड में है, कॉलेज मे तो बड़ी-बड़ी

बाते करता है पर अब पता चल गया , ये कैसा है।

वाह रे मानव ! तभी मोटा भाई कहता है क्या आज महाविद्यालय नही

जाना ? आप को, सुवरी बोली, नही आज मूढ नहीं है।

चलो ठीक है मुझे भी सहारा मिल जायेगा, मेरा भी काम आधा हो

जायेगा, और मुझे भी सहारा मिल जायेगा सुवरी पुनः मुस्कुराती है और प्रसन्न हो जाती है कि आज रस मिलने

वाला ही है, तभी मोरा भाई दूध की केटली लाता है और सारा दूध उसमे डाल देता है

फिर उसे गर्म करने लग जाता है, सुवरी बोली, आज क्या प्लान है ?

मोटा भाई बोला मद मस्त करने का , वाह मजा आ जायेगा

इससे

तो देवत्व भी प्रसन्न हो जाते है, अब सुवरी समझ गई काम होने वाला ही है हम से ही तो

देवता प्रसन्न होते है हम ही तो देवत्व भंग करती है, हमारे आगे

कोई नहीं टिक सकता तो मोटा भाई क्या चीज़ है

मोटा भाई जाता है, किश-मिश , बादाम , खोपरा लेकर आता है

तभी

उसे देखकर सुवरी चौंक जाती है, वाह रे ये क्या है ? इनका क्या करना है ?

तभी मोटा भाई बोलता है मोबाईल पै बहुत किस करती है, बहुत मिस करती है, पर किस-मिस

के बारे मे नही जानती

काजू / बादाम के बारे मे जानती है, लेकिन पता है ये क्या

काम आते है, शहर की लडकियो को बस जुबान चलाना आता है वो भी अच्छी तरह

कान कतरने में होशियार ईज्जत को तो समझती नही, पता है जिस दिन मोबाईल पर

बात कर रही थी तभी वसुत्वं ने बोला था – इसे किस-मिश का स्वाद जरुर चखाना मित्र

तभी मेरा ये प्लान बना था।

समझी सुवरी।

?

सुवरी बोली अब मैं समझ गई तु मुझे पागल बना रहा है, मैं तो

कुछ ओर समझ रही थी, तभी मोटा भाई बोला नही तो मैं क्यों

आपको

पागल बनाउंगा ? आप बहुत समझदार है क्या आप को पता है मैं क्या बना

रहा हूँ , कभी देखा है तुमने ।

तभी

सुवरी बोली देखा तो नही, फिर भी क्या गॉव के लोग इसे खीचड़ी

या खीर कहते है जो कि बड़े चाव से खाते है इससे देवता प्रसन्न होते है, वसुत्वं रुपी मानव खुश होते हैं

सुवरी इसे खीर कहते है, तो फिर हम क्यों ना प्रसन्न होगे, वैरभाव को

भूलकर हम मित्रभाव रखेगे।

सुवरी इतना सुनकर कहने लगी तुम्हे समझने के लिए मुझे कई

अवतार लेने होगे, तब जाकर मै तुम्हे समझु यह भी संभव नही,

बातो – बातों मे सुवरी नाराज हो जाती है, सोचती है, मैने क्या सोचा था

और क्या हो गया पता नहीं, ये मोटा भाई ही ऐसा है ।

या इसके गॉव

के सब लोग ऐसे ही है।

अब सुवरी सोचती है कि मैं गाँव वाले से शादी हरगीस

नही करुगी, नही मेरा जीवन – बर्बाद हो जायेगा।

तभी मोटा भाई कहता है अरे सुवरी क्या हो गया, समझ

गई ना हमे, समझ गई वा किस-मिश को।

सुवरी छ। सोचती है मोटा भाई मेरा मजाक उड़ा

रहा है

पर असल में ऐसा कुछ नहीं, अब भी कह ही पता नही ।

( गल्पकार )

प्रेमदास वसु सुरेखा

2 Likes · 2 Comments · 394 Views

You may also like these posts

শিবকে নিয়ে লেখা গান
শিবকে নিয়ে লেখা গান
Arghyadeep Chakraborty
कटे न लम्हा ये बेबसी का ।
कटे न लम्हा ये बेबसी का ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
हम हिम्मत हार कर कैसे बैठ सकते हैं?
Ajit Kumar "Karn"
“नये वर्ष का अभिनंदन”
“नये वर्ष का अभिनंदन”
DrLakshman Jha Parimal
जीवन के पहलू
जीवन के पहलू
Divakriti
इतना तो करना स्वामी
इतना तो करना स्वामी
अमित कुमार
धड़कनें थम गई थीं
धड़कनें थम गई थीं
शिव प्रताप लोधी
शत् कोटि नमन मेरे भगवन्
शत् कोटि नमन मेरे भगवन्
श्रीकृष्ण शुक्ल
4397.*पूर्णिका*
4397.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
ऐसे ही थोड़ी किसी का नाम हुआ होगा।
Praveen Bhardwaj
नज़रें
नज़रें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
इतनी उम्मीदें
इतनी उम्मीदें
Dr fauzia Naseem shad
"Success is not that
Nikita Gupta
बांटो, बने रहो
बांटो, बने रहो
Sanjay ' शून्य'
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरा सनम
मेरा सनम
प्रकाश कुमार "बाग़ी"
आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
आगामी चुनाव की रणनीति (व्यंग्य)
SURYA PRAKASH SHARMA
हनुमत की भक्ति
हनुमत की भक्ति
Jalaj Dwivedi
बचपन के मुस्कुराते जिद्दी चेहरे
बचपन के मुस्कुराते जिद्दी चेहरे
Anant Yadav
((((((  (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
(((((( (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
Rituraj shivem verma
तन्हा वक्त
तन्हा वक्त
RAMESH Kumar
दहेज बना अभिशाप
दहेज बना अभिशाप
C S Santoshi
मतलब निकल गया तो यूँ रुसवा न कीजिए
मतलब निकल गया तो यूँ रुसवा न कीजिए
आकाश महेशपुरी
कुछ तो नहीं था
कुछ तो नहीं था
Kaviraag
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
‘पितृ देवो भव’ कि स्मृति में दो शब्द.............
Awadhesh Kumar Singh
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
दशहरे पर दोहे
दशहरे पर दोहे
Dr Archana Gupta
"एक्सरे से"
Dr. Kishan tandon kranti
राह इनको दिखाने वाले
राह इनको दिखाने वाले
gurudeenverma198
क्रोध
क्रोध
ओंकार मिश्र
Loading...