गले लगाया कर
नींद थोड़ी कम आती है
तूं सपने में आ जाया कर
तूं हंसते हुए अच्छी लगती है
आईना ही देखकर मुस्कुराया कर।
खूबसूरत लगती हो तुम ऐसे ही
यूं ना खुद को ऐसे सजाया कर
सुकून बहुत है तुम्हारी बाहों में
तू खुद को ही गले लगाया कर ।
रहती भी तो तुम बहुत दूर नहीं
जब मन करे चल आया कर
मोहब्बत तो है अधूरी ही सही
किस्सा समझकर भूल जाया कर।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि