गृह लक्ष्मी से अलक्ष्मी बनने का सफर
जब घर की झाड़ू बुहारी कर ,
झूठे बर्तन धोकर ,
घर से नकारात्मक शक्तियों को बाहर निकालती है ।
जब बारे प्रेम से खाना बनाकर और
सबको प्रेम से खिलाती है ,
तो वो अन्नपूर्णा का रूप धरती है ।
कोई संकट आने पर जब ढाल बनके खड़ी होती है।
उसकी दुआओं के बल से ही घर में ,
दुख समृद्धि आती है ।
नारी जब प्रसन्न और संतुष्ट हो तभी गृह लक्ष्मी ,
का रूप धरती है।
मगर अफसोस ! अभिमानी पति ,( पुरुष ) ,
फिर भी उसकी कद्र नहीं करता !
अपने जीवन के सभी समय में ,
एक पल भी उसको नहीं देता ।
इतनी सेवा के बदले कोई सम्मान ,तारीफ ,
श्रेय या उपकार का फल नहीं देता ।
तब उस गृह लक्ष्मी का दिल टूट जाता है ।
और खून के आंसू रोता है।
अब ऐसे में यदि गृह लक्ष्मी अलक्ष्मी बन जाए तो ?
कौन जिम्मेदार होता है ?