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13 Jun 2019 · 1 min read

गलती भी कर रही है, और फैसला भी सुना रही है…

भटकी वो
और भटका मुझे रही थी,
समाज के सामने,
झुठला मुझको रही थी,
जुबां बदलती रही,
मेरे खिलाफ,
हर मुलाकात पे वह,
हर रिश्तों की नजर में,
मुझको गिरा रही थी।
कही तो सबसे की,
मुहब्बत खूब करती हूं,
लेकिन असर प्यार का,
वह विष सा दिखा रही थी।
ना समझ बन कर उसने,
छला हर रिश्ते को,
कुछ पर चोट बाकी है,
अभी उनको सहला रही है।
निर्मल मन,
भोला रूप है उसका,
फरेब में अपने,
सबको बहका रही है।
खुदगर्ज कहूं या,
बेशर्म कहूं उसको,
गलती भी कर रही है,
और फैसला भी सुना रही है।।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 767 Views
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