Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Aug 2017 · 1 min read

** अगर बेटों को भी संस्कार देते …**

अगर बेटों को भी संस्कार देते ,
बेटियों की तरह ही विचार देते ।
समाज ना बनता हृदय विदारक ,
बेटों के बुरे कर्म पर जो मार देते ।।

कोसा हमेशा बेटियों को ही ,
भले ही बेटों से बेहतर होती ।
दुत्कारा हमेशा बेटियों को ही ,
गलती चाहे बेटों की होती ।।

बेटे के मोह में बेटी को मार दिया ,
खुद ही अपना भविष्य उजाड़ दिया ।
बेटी की जान की कीमत ना समझी ,
बेटों के लिए बेटी को वार दिया ।।

अब सोच रहे वृद्धाश्रम में बैठे ,
काश गर्भ में बेेटी मारी ना होती ।
अगर बेटी भी बेटों सी प्यारी होती ,
आज ये हालत हमारी ना होती ।।

मारी बेटी का बुढ़ापे में शौक मना रहे ,
जब बेटे जीते जी उन्हें मुर्दा बता रहे ।
समझ जाओ समय रहते दुनिया वालो ,
उस दिन से पहले कि खोकर पछता रहे ।।

खुदा न खास्ता ऐसा दिन ना आये कभी ,
बेटे तो हों पर बाँधने को राखी बेटियाँ ना रहें ।
कैसे पैदा करोगे बेटे ? कैसे बढ़ाओगे वंश ?
बनाने को बहु गर दुनियां में बेटियाँ ही ना रहें ।।

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 1517 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
Dheeru bhai berang
जात आदमी के
जात आदमी के
AJAY AMITABH SUMAN
जाने वाले साल को सलाम ,
जाने वाले साल को सलाम ,
Dr. Man Mohan Krishna
किसी मोड़ पर अब रुकेंगे नहीं हम।
किसी मोड़ पर अब रुकेंगे नहीं हम।
surenderpal vaidya
*भाग्य से मिलते सदा, संयोग और वियोग हैं (मुक्तक)*
*भाग्य से मिलते सदा, संयोग और वियोग हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
खुशी की तलाश
खुशी की तलाश
Sandeep Pande
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जज़्बात-ए-दिल
जज़्बात-ए-दिल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
VINOD CHAUHAN
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
श्रीकृष्ण शुक्ल
बाल कविता : बादल
बाल कविता : बादल
Rajesh Kumar Arjun
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
कुछ इस तरह टुटे है लोगो के नजरअंदाजगी से
पूर्वार्थ
आये हो मिलने तुम,जब ऐसा हुआ
आये हो मिलने तुम,जब ऐसा हुआ
gurudeenverma198
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Rj Anand Prajapati
अरमान गिर पड़े थे राहों में
अरमान गिर पड़े थे राहों में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
मनोरम तेरा रूप एवं अन्य मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
यक्षिणी / MUSAFIR BAITHA
यक्षिणी / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
कोई गुरबत
कोई गुरबत
Dr fauzia Naseem shad
2263.
2263.
Dr.Khedu Bharti
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई - पुण्यतिथि - श्रृद्धासुमनांजलि
वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई - पुण्यतिथि - श्रृद्धासुमनांजलि
Shyam Sundar Subramanian
" यादें "
Dr. Kishan tandon kranti
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
संघर्षों की एक कथाः लोककवि रामचरन गुप्त +इंजीनियर अशोक कुमार गुप्त [ पुत्र ]
कवि रमेशराज
💐प्रेम कौतुक-444💐
💐प्रेम कौतुक-444💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Lamhon ki ek kitab hain jindagi ,sanso aur khayalo ka hisab
Lamhon ki ek kitab hain jindagi ,sanso aur khayalo ka hisab
Sampada
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
Harminder Kaur
#सवाल-
#सवाल-
*Author प्रणय प्रभात*
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह
Sarfaraz Ahmed Aasee
स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद
मनोज कर्ण
Loading...