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12 Jul 2021 · 1 min read

‘गर आ जाते फिर एक बार….

‘गर आ जाते फिर एक बार …

सूनी रातें, बहकी बातें
नैनों से झरती बरसातें
शांत हो एक कोने में रहतीं
जग के मन में चलती घातें
जीत बन जाती मेरी हार
‘गर आ जाते फिर एक बार…

उर में है यादों की थाती
नैनों में आशा की बाती
पीर छलक दोनों नैनों से
मगन बाँचती अंतस पाती
खिल उठती देख तुम्हें साकार
‘गर आ जाते फिर एक बार…..

अश्कों से गम अपने धोए
भाग्य- सितारे मेरे सोए
इन नाजुक पलकों ने मेरी
तब से कितने सावन ढोए
चहक उठता सूना संसार
‘गर आ जाते फिर एक बार…..

देख तुम्हें आँखें जी जातीं
गटक-गटक आँसू पी जातीं
सुप्त हसरतें पड़ी हृदय में
स्पर्श मधुर पाकर मुस्कातीं
रहता न सुख का पारावार
‘गर आ जाते फिर एक बार…..

वो आना भी क्या आना था
धुंध- भरा ताना- बाना था
ख्वाब था जैसे चलता कोई
बस नज़रों का नज़राना था
उतर जाता मन का भी भार
‘गर आ जाते फिर एक बार…..

– © सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
“मृगतृषा” से

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 368 Views
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