*गर्मी में शादी (बाल कविता)*
गर्मी में शादी (बाल कविता)
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गरमी का मौसम था
शादी में थे गए बराती
जब नाचे तो देख पसीना
बोले बदबू आती ।
खाने के स्टाल सजे थे
लेकिन कैसे खाते
छक्के एक कचौड़ी खाकर
छूट सभी के जाते।
जलजीरा, कुछ नीबू-पानी
सबके मन को भाया
बरफ पड़ा शरबत पी-पीकर
शादी को निबटाया।
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा,रामपुर,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451