गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
गर्मी ने दिल खोलकर,मचा रखा आतंक
और पसीना यूँ लगे , मारे कोई डंक
मारे कोई डंक , धूप तन- बदन जलाती
लू भी मारे लात, ताप दिन- रात बढ़ाती
रही ‘अर्चना’ देख , बादलों की हठधर्मी
जब आये बरसात,तभी कम होगी गर्मी
डॉ अर्चना गुप्ता
21.05.2025