गर्मी की छुट्टियों में अपने बच्चों को देख लेने दो खुला आसमान
जी हां पाठकों, आपके बच्चों की वार्षिक परीक्षा के बाद सालाना छुट्टियां करीब हैं और आप हमेशा की ही तरह मशरूफ होंगे, बच्चों की फुर्सतों के हर लम्हें का पाई-पाई हिसाब रखने में । मसलन, सबेरे की कोचिंग, शाम की ट्यूशन, वीकेंड के टेस्ट और यह सब करने के बाद भी यदि कुछ समय बचा रह गया तो कोर्स रिविजन के लिए एक्स्ट्रा क्लासेस । बिल्कुल इत्तफाक है, इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में ऑंखे खोलने वाले आपके बच्चों को शुरू से ही स्पर्धा के हथियार चलाने सीखने होंगे या यूं कह सकते है कि “मजबूरीवश सीखने की आवश्यकता बन गई है “ । उन्हें आगे चलकर आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास करनी है, इंजीनियरिंग कॉलेज में जगह बनानी है, डीयू की कटऑफ लिस्ट को ढाल बनाकर मनमाफिक कोर्स में एडमिशन लेना है, और इससे भी अपगे चलकर प्रतिस्पर्धी मार्केट इकोनॉमी के हिसाब से स्वयं को आज के दौर में तैयार करना है । यानी,” बतौर अभिभावक आप पर भी ढेर सारा दबाव है और साथ ही साथ अनेकों चुनोतियों को पार भी करना आवश्यक हो गया है “ ।
जी हां, पाठको यह सब बाते तो बच्चों की शिक्षा से जुड़ी हुई है, लेकिन जिदगी की परीक्षा के लिए भी तो हमें अपने बच्चों को तैयार करने की जरूरत है ना ? फिर जिंदगी की इस परीक्षा में विजयी होने के लिए आपने बच्चों की खातिर क्या किया ? सोचिये जरा, अब भी वक्त है, आपके पास । उन्हें रिलेशनशिप्स/रिश्तेदारी की बारिकियों से वाकिफ कराईये । उन्हें उनकी आयु के अनुसार समझाने का प्रयास करें । आजकल का दौर तो ऐसा है कि “किस समय किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, यह कुछ भी कहा नहीं जा सकता है ”, इसलिये बच्चों को प्यार से समझाने की आवश्यकता है कि जिंदगी की कठिन परिस्थितियों का सामना कैसे करना है । उनको सबसे मिलनसार होने की तरकीबें बताएं, नाजुक दौर में स्वयं को कैसे संभालना है ? यह भी बताएं, उनको अपने ही शरीर की बनावट और दिमाग की बुनावट समझाएं, फिर आप लोग कहेंगे कि यह भी सब कोई समझाने की बातें है ? “जिंदगी के स्वीमिंग पूल में आप भी तो ऐसे ही उतार दिये गए थे, बिना स्ट्रोक सीखे और उसी का खामियाजा भुगतती रही थी आपकी जिंदगी ”, तमाम उतार-चढ़ावों के दौर में गोते खाते हुए, है ना पाठकों । लेकिन हम यह हरगिज नहीं चाहेंगे कि जो हमारी जिंदगी में हुआ, वैसा ही हमारे बच्चों के साथ भी हो । अत: समय रहते उनको आप यह बताएं कि आपने अपनी जिंदगी में किस तरह से कठिनाईयों को पार करते हुए सफलता प्राप्त की है, तभी तो वे जिंदगी के स्विमिंगपुल में तैरना सीख पाएंगे ।
अब तो वर्तमान में कमान आपके हाथों मे ही है न ? सो बदल डालिए जिंदगी के अव्यवस्थित उसूलों को । अपने बच्चों को इस इंटरनेट के युग में रिश्तों को निभाने की तरकीबें बताइए और इस तनाव के दौर में उन्हें कैसे दूसरों को ‘स्पेस’ देना है, “उनकी प्राइवेसी का सम्मान करना है, दिन-प्रतिदिन की जिंदगी का प्रबंधन कैसे करना है, यह सिखाईये” ।
इन छुट्टियों में कोचिंग, ट्यूटोरियल में दाखिला दिलाने की बजाय कुछ ऐसा करने दीजिये, जो बच्चों के मन का हो, जिसे करते हुए “ वे हंसते-हंसते घर लौटें, खुलकर खिलखिलाना सीखें, खुद को खोलना सीखें, सही आजादी का वे आनंद ले सकें” ।
आप उनके अभिभावक होने के नाते उनकी पसंद और इच्छा को पहचाने और इन छुट्टियों में उनकी मर्जी के अनुसार उन्हें वही करने दीजिए । उनकी इच्छानुसार किसी आश्रम में या जंगल में लगे संस्कारों के कैम्प का हिस्सा बन जाने दें, ताकि वह गुरू की शरण में समय बिताते हुए अपनी परंपराओं को जान सकें । उनको एक्टिंग सीखने दीजिए, थियेटर करने दीजिए, गिटार बजाने दीजिए, पेटिंग करने दीजिए, फुटबॉल के मैदान पर खेलने भेज दीजिए, गंगा किनारे याेेेग-ध्यान की क्लास से जुड़ जाने दीजिए….. वॉलंटियरिंग का दौर है, सो किसी सुदूर प्रदेश में या विदेश में , वॉलिंटियर की हैसियत से जुड़ जाने दीजिए, ताकि कुछ नई स्किल्स हासिल कर सकें और अपने किसी हुनर के बलबूते पर अनजाने लोगों के साथ भी रहने का भी पूरा अनुभव बटोर सकें ।
अपनी पीढ़ी के संस्कारों और मूल्यों से उन्हें हांकना छोड़ दीजिए । उनको भी पूरी आजादी के साथ खुद के नियम बनाने दीजिए, बेतुके बने कायदों को तोड़ने दीजिए, नई अनजानी राह पर चलने की आजादी दीजिए । “ सीखने दीजिए कुछ नया, जो उन्हें किसी एंट्रेस परीक्षा में न सही, जिंदगी की परीक्षा में जरूर पास करा देगा” । करने दीजिए गलतियां, लगने दीजिए ठोकरें, गिरने दीजिए, अपने-आप संभलने दीजिए, फिसलने दीजिए, बहकने दीजिए……….. अपने बच्चों को खुली हवा में उड़ान भरने दीजिए, खुला आसमान देख लेने दीजिए, उनके भी अरमानों को पूरा करने का उनको पूरे विश्वास के साथ एक मौका अवश्य दीजिए, “ तभी तो वे अपने भावी जीवन में आत्म-निर्भर बनकर सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए जिंदगी की परीक्षा में भी पूर्ण रूप से पास हो सकेंगे” ।
एक महत्वपूर्ण बात जो मैं आपसे कहना चाहती हूं इस लेख के माध्यम से, वो यह है कि अभिभावकों को चाहिए कि अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए एक धुरी बनिए, उसके लिए बच्चों पर अपनी मर्जी पूरी करने के लिए जबर्दस्ती ना करते हुए उन्हें उनकी स्वेच्छा से कोई भी कार्य को पूर्ण करनें में मददगार साबित हों ।
जी हां पाठकों, आपको यह मैं अपने अनुभवों के आधार पर आपसे अपने विचार साझा कर रही हूं क्यों कि आम तौर पर यही देखा जा रहा है कि आजकल तो इस व्यस्तम जिंदगी में संयुक्त परिवार तो कम ही देखे जाते हैं और एकल परिवार ही बहुत हैं, और उस पर भी माता-पिता अधिकतर नौकरीपेशा होने से वैसे ही बच्चों को समय कम दे पाते हैं । बच्चे भी इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में वर्ष भर अपने अध्ययन को ही पूर्ण करने में व्यस्त रहते हैं, अत: इन छुट्टियों में आप चाहते हैं कि आने वाले समय की आवश्यकतानुसार वे पारस्परिक रूप से आपसे हमेशा जुडे़ रहें ताकि दूरियां पनपने ना पाएं । इसलिये “ आप अभिभावक होने के नाते अपने बच्चों के साथ उचित तालमेल बिठाते हुए और उनकी पसंद-नापसंद को ध्यान में रखते हुए उनकी रूचि के अनुसार विकास के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए सहायक बनें” ।
सभी पाठकों से निवेदन करती हूं कि अपनी आख्या के माध्यम से बताइएगा फिर, आपको मेरा यह लेख कैसा लगा ? मुझे आपकी आख्या का इंतजार रहेगा हमेशा की ही तरह ।
धन्यवाद आपका ।