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7 Jul 2024 · 1 min read

गर्मियों में किस तरह से, ढल‌ रही है जिंदगी।

मुक्तक

गर्मियों में किस तरह से, ढल‌ रही है जिंदगी।
जल रही है भुन रही है, पल रही है जिंदगी।
सूर्य की भृकुटी तनी है, लाल आंखें रौद्र सी,
मोमबत्ती- बर्फ़ जैसे, ये गल रही है जिंदगी।

……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
85 Views
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