गर्द चेहरे से अपने हटा लीजिए
आईये प्यार से गुनगुना लीजिए
खूबसूरत समां को सजा लीजिए
दिल की बातें हुनर से बताकर यहाँ
चंद लफ़्ज़ों में अपना बना लीजिए।।
जिंदगी के सफ़र का मजा लीजिए
दर्द काफ़ूर हो इल्तिज़ा कीजिए
प्यार से रोशनी की इबारत लिखें
सुख मिले हर किसी को दुआ कीजिए।।
बदजुबानी न दूषित हवा कीजिए
मुल्क कायम रहे वो फिजा कीजिए
वैर का विष न घोलें अमन में कहीं
न्याय सबको मिले फ़ैसला कीजिए।।
दम्भ को ज़िंदगी से मिटा दीजिए
नेक दरिया दिलों में बहा लीजिए
आईने में कहीं नुक्स मत ढूँढिये
गर्द चेहरे से अपने हटा लीजिए।।
इस कलम से सभी को जगा दीजिए
भेद जो भी करें अब भगा दीजिए
कुछ अधर्मी यहां सर उठाने लगे
आग लंका में उनके लगा दीजिए।।
डॉ छोटेलाल सिंह मनमीत