गर्दिशों में तारे छुपाए बैठे हैं।
पता है तुम बेवफाई करोगे हमसे फिर भी।
उम्मीद का दामन थामें बैठे हैं।।1।।
शायद खुदा पूरी ही करदे तमन्ना दिल की।
तुमको दुआओं में मांगें बैठे हैं।।2।।
मजबूर है बड़े हमनें मोहब्बत जो कर ली।
तुम पर खुद को लुटाए बैठे हैं।।3।।
नींद ए नजर में बस तुम्हारें ही ख्वाब है।।
इनमें तुमको ही सजाए बैठे हैं।।4।।
तसवी के दानों में तेरा ही नाम पिरोया है।
हमेशा ओठों से लगाए बैठे हैं।।5।।
दिखावे की जिन्दगी हम जीते नही कभी।
गर्दिश में सितारे छुपाए बैठे हैं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ