गर्दिशे जहाँ पा गये।
कहाँ थे ज़िन्दगी में हम और कहाँ आ गये।
ना जाने कब कैसे हम गर्दिशे जहाँ पा गये।।
अब अपनों से वह निस्बत रही ना हमारी।
तभी तो रिश्तों मे हम इतनी दूरियाँ पा गये।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
कहाँ थे ज़िन्दगी में हम और कहाँ आ गये।
ना जाने कब कैसे हम गर्दिशे जहाँ पा गये।।
अब अपनों से वह निस्बत रही ना हमारी।
तभी तो रिश्तों मे हम इतनी दूरियाँ पा गये।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️