Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Dec 2016 · 2 min read

गरीब का ए. टी. एम्.

मेरे देश का गरीब,
वह ए. टी. एम्. है
जिसमे लगता है जब भी
शासन की कुटिल, लच्छेदार और ‘समझदार’
नीतियों का डेबिट कार्ड,
तो बाहर आता हैं

दर्द..
पछतावा..
पिछले सभी वादों का भुलावा
सामने से गले लगने की प्रथा बाहर आती है
और पीछे से चाकू घोंपने का छलावा
बाहर आती है
कमरतोड़ मेहनत.. लाचारी..
बूढ़े माँ बाप की बीमारी
जवानी में आँखों के नीचे धब्बे स्याह
कुँवारी लाड़ो का ब्याह
बाहर आती है कलेजे में दफ़न टीस
स्वप्निल लाडले की फीस

नेताओ की चपलता बाहर आती है
सिस्टम की छदमता बाहर आती है
दिहाड़ी मज़दूर की मज़दूरी बाहर आती है
बूढ़ों की मज़बूरी बाहर आती है
एक किसान की विवशता बाहर आती है
बाहर आता है उसका दुर्दम्य संघर्ष
जो शुरू होता है खेत से
श्रमजीवी रेत से
और खत्म होता है खेत पर
जिसका संघर्ष मिटटी में
पसीने की बूंद मिलने से
शुरू होता है
और खत्म होता है उसी
मिटटी में मिलने पर
जिसका संघर्ष शुरू होता है
दुनिया को अनाज़ बांटने पर
और खत्म होता है सरकार से प्राप्त
2 रुपये किलो गेंहू ‘चाटने’ पर

मैं पूछता हूँ!
इस लंबी कतार में
कोई नेता क्यों नही है?
कोई अभिनेता क्यों नही है?
कोई बैंकर क्यों नही है?
कोई उद्योगपति क्यों नही है?
कोई अधिकारी-आला क्यों नही है?
कोई सूट-बूट वाला क्यों नही हैं?
आखिर क्यों खड़ा है वही शख्स
जो कभी खास नही हुआ
कालेधन की परीक्षा में
कभी पास नहीं हुआ
जो हमेशा से आम रह गया है
सिसकना जिसका काम रह गया है
अगर कतार में मरना
नोटबंदी की देशभक्त पहल में
शहीद होना है,
तो बताइए हुक्मरानों
क्या आप भी होंगे शहीद?

जी नही,
इसे उन्ही पर छोड़ दीजिए
बीड़ा हमेशा जिन्होंने उठाया है
शासन के आगे घुटने टेकने का
कुछ ‘खासों’ के आगे
करोड़ों ‘आमों’ को मेटने का

आह नियति!
कतार में खड़ा वह पैसों के चाव में है,
उसे क्या पता? कि मौत यहाँ थोक के भाव में हैं!!!
****************************************
– नीरज चौहान की कलम से..

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 358 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
फितरत
फितरत
umesh mehra
बदनाम होने के लिए
बदनाम होने के लिए
Shivkumar Bilagrami
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
Rj Anand Prajapati
" प्रार्थना "
Chunnu Lal Gupta
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
क्या सितारों को तका है - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
माईया गोहराऊँ
माईया गोहराऊँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आ जाये मधुमास प्रिय
आ जाये मधुमास प्रिय
Satish Srijan
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
Neerja Sharma
संघर्षों के राहों में हम
संघर्षों के राहों में हम
कवि दीपक बवेजा
स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस
Dr Archana Gupta
मेरा लेख
मेरा लेख
Ankita Patel
निगाहें के खेल में
निगाहें के खेल में
Surinder blackpen
वीर बालिका
वीर बालिका
लक्ष्मी सिंह
// जनक छन्द //
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2889.*पूर्णिका*
2889.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम देखो या ना देखो, तराजू उसका हर लेन देन पर उठता है ।
तुम देखो या ना देखो, तराजू उसका हर लेन देन पर उठता है ।
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
काजल
काजल
SHAMA PARVEEN
■चन्दाखोरी कांड■
■चन्दाखोरी कांड■
*Author प्रणय प्रभात*
💐प्रेम कौतुक-523💐
💐प्रेम कौतुक-523💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जी करता है...
जी करता है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बेरूख़ी के मार से गुलिस्ताँ बंजर होते गए,
बेरूख़ी के मार से गुलिस्ताँ बंजर होते गए,
_सुलेखा.
*आई भादों अष्टमी, कृष्ण पक्ष की रात (कुंडलिया)*
*आई भादों अष्टमी, कृष्ण पक्ष की रात (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"नव प्रवर्तन"
Dr. Kishan tandon kranti
हां मैं पारस हूं, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
हां मैं पारस हूं, तुम्हें कंचन बनाऊंगी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*हीरे को परखना है,*
*हीरे को परखना है,*
नेताम आर सी
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
एडमिन क हाथ मे हमर सांस क डोरि अटकल अछि  ...फेर सेंसर ..
एडमिन क हाथ मे हमर सांस क डोरि अटकल अछि ...फेर सेंसर .."पद्
DrLakshman Jha Parimal
Loading...