गरीबी
लोगों की कहानियों में
आज भी है गरीबी |
कवियों की छंदों में
आज भी है गरीबी |
गरीब कम नहीं…..
कोई गरीब धन से है
कोई गरीब मन से है
कोई गरीब वचन से है….
फर्क बस इतना है
जो धन से गरीब है
वो लाचार है |
जो मन से गरीब है…
वो गँवार है |
और जो वचन से गरीब है
वो सरकार है |