गरीबी मैं खानदानी हूँ
मिट्टी गोबर के बने
महल की एक अद्भुत
अकल्पनीय प्रचलित कहानी हूँ
गरीबी मैं खानदानी हूँ
वक्त बदले
हालत बदले
मैं हर बड़े नेता की
राजनैतिक जीत की जुबानी हूँ
गरीबी में खानदानी हूँ
भूख प्यास बीमारी से
मरते देखा
इन चार दीवारी में
झूठे वादे कर छोड़ गए
उन अमीरों की बैमानी हूँ
गरीबी में खानदानी हूँ
न रिश्ते न नाते
न कोई चाहने वाले
थी अकले कल भी
अकेलेपन की दीवानी हूँ
गरीबी में खानदानी हूँ
हर सफल इंशन की सुरुआत
बदलते उसके जजवात
बदले जज़्बात की रवानी हूँ
गरीब मैं खानदानी हूँ
जिसने मुझे
मैंने जिसे अपनाया
उसे कभी किसी ने
न देखा न कभी
समझ पाया
सांस जब तक रही लड़ा
अंत में मुझमें ही समाया
मुझमें समाये अनगिनत आत्माओं की
अकल्पनीय प्रचलित कहानी हूँ
गरीब मैं खानदानी हूँ